समन्दर से अलग होकर बूँद,
समन्दर से बेवफाई करती है ,
लेकिन अपने आस्तित्व को एक नया जन्म देती है !
बूँद फिर से समन्दर में समाकर,
समन्दर से अपनी वफ़ा निभाती है,
और अपने आस्तित्व को एक बार फिर से मिटाती है !!
समन्दर से बेवफाई करती है ,
लेकिन अपने आस्तित्व को एक नया जन्म देती है !
बूँद फिर से समन्दर में समाकर,
समन्दर से अपनी वफ़ा निभाती है,
और अपने आस्तित्व को एक बार फिर से मिटाती है !!
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
ReplyDeletethank you sir ....:)
ReplyDeleteवफा और वेवफाई का सुन्दर चित्रण किये है,अतिसुन्दर।
ReplyDeleteबहुत उम्दा भाव ,सार्थक प्रस्तुति,,,प्रतिभा जी,,
ReplyDeleterecent post : बस्तर-बाला,,,
बेहतरीन रचना
ReplyDeleteसादर