Thursday, February 26, 2015

यादों से अपनी कह दो...

यादों से अपनी कह दो
थोड़ा कम सताया करें
वक़्त बेवक़्त हमें
यूं न रुलाया करें !
हमने कब कहा था
तुमसे दूर जाने को
फैसला तुम्हारा था
तो इन यादें को भी
तुम्ही सम्भालो !!!





Friday, February 20, 2015

इस दोस्ती को बहुत ही अज़ीज़ माना है हमने !!!




आज इस दोस्ती को 
वर्षों बीत गए 
नहीं पता कैसे 
अदा करूँ 
शुक्रिया तुम्हारा 
कैसे बीते ये लम्हे 
वक़्त का कुछ 
पता ही न चला 
हाँ पर इतना 
याद है… 
जब भी मुझे 
तुम्हारी जरूरत थी 
तुम हमेंशा मेरे पास थे 
कभी कुछ कहने की 
जरूरत नहीं पड़ी 
तुमने हमेंशा ही 
समझा मुझको
बिना कुछ कहे 
हमेंशा साथ 
खड़े थे तुम मेरे 
मेरे पागलपन को 
भी सराहा तुमने 
माना कि  बहुत 
परेशां किया है तुमको 
पर इस दोस्ती को 
बहुत ही अज़ीज़ माना 
है हमने !!!

Thursday, February 19, 2015

तुम्हे मेरी इतनी फ़िक्र क्यों है...



हाँ अभी कुछ दिनों पहले 
तुमने कहा था मुझसे कि 
तुम्हारी हँसी अच्छी लगती है 
जब उस दोराहे पे 
मैं तुम्हारा हाँथ 
थाम कर चल रही थी 
तब तुमने मेरी 
तरफ देखकर 
कहा था…
हमेंशा यूँ ही 
मुस्कराती  रहना  
क्यूंकि तुम हँसते 
हुए अच्छी लगती हो 
मैंने तुम्हारी आँखों में 
एक फ़िक्र देखी थी 
जो मेरे लिए थी 
उस वक़्त मैंने तुम्हारी 
बात को हँसी  में टाल दिया था 
पर वक़्त बेवक़्त ये बात 
याद तो आती है मुझे 
पर समझ नहीं पाई 
कि तुम्हे मेरी इतनी 
फ़िक्र क्यों है!!!


Friday, February 13, 2015

कैसा दिखता होगा चाँद वहाँ से...





सोंचती हूँ कैसा दिखता  होगा
चाँद वहाँ  से
शायद जैसा यहाँ  से दिखता  है
पर परदेस में
शायद वो भी कुछ
अनजाना सा हो
कुछ यादों का साक्षी
कुछ बातों का राजदार
जब भी देखोगे अपनी
बंद खिड़की से
कुछ यादें सहला जाएँगी
कुछ नए सपने बुन जाएंगे
और कभी कभी दिल को
किसी के पास होने का
एहसास तड़पा जाएगा। 

Thursday, February 05, 2015

तुम्हारी हसरत थी ...

तुम्हारी हसरत थी
हमें पाने की
और हमारी चाहत  थी
तुम्हे अपना बनाने की
पर शायद मेरा दिल
तुम्हे समझ नहीं पाया
तुम्हारी आहटों को
पहचान नहीं पाया
पर  सोंचती हूँ
कैसे पहचानती तुम्हे मैं
जब तुम खुद की
धड़कनो को
समझ नहीं पाये!!!