Tuesday, October 22, 2013

कुछ पल बेफिक्री के …

कुछ पल तो बेफिक्री के
बिताओ कभी यारों के साथ,

बिना किसी चिंता बिना किसी डर  के 
बेसुरे राग में कुछ तो गुनगुनाओं यारों के साथ 

कभी रातों में सड़क पर निकल के 
चाय की चुस्कियां लगाओ यारों के साथ 

कभी बिना बुलाये मेहमान की तरह 
दोस्तों के घर पहुँच जाओ बिना बताये 

यही तो वो दिन हैं वो उम्र है 
जहाँ हम हैं यारों के साथ 

फिर क्यों  न कुछ पल बेफिक्री के 
बिताओं यारों के साथ !!