Thursday, September 14, 2017

जन्मदिन मुबारक हो !!

ओह मेरी मातृभाषा
तुम कितनी शांत सी हो
निर्मल सी
कटुता की भाषा तुम्हे आती नहीं
दिल भर जाता है
जब कोई खुद के लफ़्ज़ों में
तुम्हे पिरोता है
जब कोई खुद को
बयां करता है
फिर भी आज की समझ कुछ
अजब सी है
शायद किसी को याद भी नहीं
कि  आज तुम्हारा दिन है
अपनी मातृभाषा का जन्मदिन है
कहने को हम सब कुछ याद रखतें हैं
सारे दिवस मनातें  है
तो आज हम तुम्हारा दिन कैसे भूल गए
मुबारक हो तुमको ये दिन ये साल
मुबारक हो तुमको तुम्हारी पहचान!!


Friday, September 08, 2017

पिछले साल की बारिश ...

पिछले साल की बारिश
कुछ ऐसी कसक छोड़ गई
तुम्हारी वो पहली नज़र
अपना असर छोड़ गई..
हमारे मिलने का सिलसिला
अब भी जारी है...
वो पहली मुलाकात
अपनी महक छोड़ गई !!