Thursday, December 25, 2014

माँ तेरे लिए वो ख़ुशी कहाँ से लाऊँ ...

माँ तेरे लिए वो ख़ुशी
कहाँ से लाऊँ
कहाँ से वो तेरा
सुकून लाऊँ
हाँ मैंने वादा किया था
बाबा से..
कि  तुझे हर ख़ुशी दूँगी
और पूरी कोशिश  भी की है
तुझे खुश रखने की
पर पता नहीं तेरे
चेहरे की लाली
कहाँ खो गई
तेरे माथे की बिंदिया
हवा हो गई
बस एक सूनापन
दिखता  है
तेरी आँखों में
समझ नहीं आता
तेरे आँखों की नमी
कैसे हटाऊँ
कैसे तेरी ज़िन्दगी का
सुकून मैं लाऊँ
कोशिश  बस यही है मेरी
कि तेरी ज़िन्दगी में
कोई गम न लाऊँ
तुझे हर ख़ुशी का
एहसास कराऊँ
जो खोया है तूने
मैं लाके नहीं दे सकती
पर कोशिश  यही है
कि तुझे जीने की
एक नई लौ  दिखाऊँ !!!

Thursday, December 18, 2014

ये खामोश रातें....

ये खामोश रातें
और तुम्हारी यादें
कितनी समानता है इनमें
न तुम कुछ बोल रहे हो
न ये रातें
बस शान्त …
समंदर की गहराई की तरह
शिकायत करूँ भी तो किससे
इन तन्हा रातों से
या तुम्हारी खामोशी से
हाँ पता है मुझे कि
तुम सुनके भी अनसुना करोगे
और शायद इन स्याह रातों के पास
जवाब नहीं है कोई।।