Thursday, January 29, 2015

आज किनारे पर बैठकर...

आज किनारे पर बैठकर
समंदर की लहरो को देखा
तो ख्याल आया
कहीं न कहीं ये समंदर
तुम्हे छू रहा होगा
कुछ अलग ही एहसास था
हाँ शायद …
तुमसे दूर  होने का
या समंदर के सहारे
तुम्हे अपने पास
महसूस करने का
पता नहीं…
पर हाँ किनारे बैठकर
बार बार दिल यही
कह रहा था …
इस समंदर के किसी
छोर पर तुम हो
ये प्यारा सा एहसास
शायद मुझे कहीं छू रहा था!!

Monday, January 12, 2015

कोई तो बता दो...

कोई तो बता दो
कि इंसान की पहचान
कैसे की जाए???
कुछ लोग कहते हैं
आँखों से इंसान
पहचाना जाता है
पर गर उसकी आँखें
ही झूठी हों तो क्या??
कुछ लोग कहतें हैं
दिल से इंसान की
पहचान होती है
पर गर उसकी
धड़कन गुम सी हो ???
जानती हूँ नहीं आसाँ है
किसी को समझ पाना
पर गर दिल किसी
को समझने की जिद करे
तो उस दिल का क्या करें !!!

Wednesday, January 07, 2015

पलकों में आज फिर ये नमी क्यों आई है...

पलकों में आज फिर
ये नमी क्यों आई है
शायद तुम्हारी कमी
आँखों में इसे लेके आई है
शिकवा करूँ भी तो किससे
तुमसे या इस खुदा  से
जिसने तुम्हारी साँसें
तुम्ही से चुराई हैं
 आज फिर उन लम्हों
को महसूस किया हमने
कह नहीं सकती
कितना दर्द हुआ हमको
पर पूछना चाहती हूँ
तुमसे भी एक बात
क्या तुम्हे भी इतना ही
दर्द होता है !!!