Monday, June 15, 2015

ये बारिश और तरशती आँखे...

अजीब सी कसक है इन आँखों में
एक सूनापन या
किसी के आने का इन्तज़ार
एक गुजरा लम्हा या
एक नए सपने की आस
तुम्हारी आहट तो सुनाई देती है
पर तुम दिखाई नहीं देते
उफ़ ये डरी  सी सहमी सी आँखे
कुछ  तो कहना चाहती हैं
बारिश की हर गिरती बूँद के साथ
तुम्हारी राह तकना चाहती हैं
कभी तो कुछ तो बोलोगे
कुछ तो कहोगे
इस आस में बेपनाह
तुम्हारी राह तकना
चाहती हैं !!!

Saturday, June 06, 2015

वक़्त मिला तो सोंचा...

आज कुछ वक़्त मिला तो सोंचा 
ज़िन्दगी के कुछ पन्ने पलट के देख लूँ 
सुना था लोगों को कहते हुए 
कि ज़िन्दगी इतनी आसाँ नहीं होती 
शायद ये बात अब समझ में आई 
हालाँकि  सुनने और समझने में 
फरक बहुत है 
तभी तो शायद इतना वक़्त लग गया 
इस फरक को समझने में 
हाँ कदम थोड़े डगमगाए जरूर थे 
लेकिन हौंसले की कमी  न थी !!!