Saturday, August 24, 2013

कहाँ गई वो मर्यादा…

कहाँ गई वो मर्यादा
कहाँ गया वो पुरुषार्थ

जहाँ बंधते थे रिश्तों  के धागे
और उनको निभाने की कसमें

वो रेशम की डोरी
वो हंसी वो ठिठोली

जहाँ थी एक मर्यादा
जहाँ था एक विश्वास

न कुचलता था कोई किसी की मर्यादा
न ही करता था खुद को शर्मशार

पर  आज शायद इंशानियत खो सी गई है कहीं
क्यूंकि आज फिर किसी ने किया है  इंसानियत को शर्मशार !!



Monday, August 19, 2013

ओ धुंधलाती हुई शाम…

ओ धुंधलाती हुई शाम
जहाँ था तुम्हारा इंतज़ार
और तुम्हारी यादें

आसपास थी हलचल
लेकिन मेरे अन्दर
कहीं था सन्नाटा

एक सूनापन
जो खुद ही से कुछ
कह रहा था

शायद तुम्हारी याद में
बेपनाह मुझको
झिझोड़  रहा था

कह रहा था तुम
न आओगे लौट कर
वापस

ये कहकर ओ
मेरे सपने को
तोड़ रहा था

लड़ रही थी इन सबसे
सँजो  कर रखना चाहती थी
इस सपने को

जिसमें तुम हो
और तुम्हारी यादें
देखतें हैं कौन जीतता है !!!


Wednesday, August 07, 2013

बिना कहे कोई बात नहीं बनती …

बिना कहे कोई बात नहीं बनती
बिना बात कोई बात नहीं होती

कहीं तो रहे होंगे फासले
वरना ये दूरियाँ नहीं बढ़ती

तुम कहते हो तो छोड़ देतें हैं तुम्हारा दामन
लेकिन तुम्हारे बिना ये सांस नहीं चलती

बड़ी मुस्किल है तुम्हे भुला पाना
उससे भी  मुस्किल है तुम्हारे बिना जी पाना

पर क्या करें वादा भी हम्हीं ने किया है
तो अब निभाना भी पड़ेगा!!







Sunday, August 04, 2013

बचपन की यादें …

हमारी वो बचपन की दोस्ती
आज भी खास
हमारे इस दिल के और भी पास है

वो बचपन के खेल
वो बचपन की यादें
आज भी याद हैं

हमारा वो लड़ना
वो झगड़ना
और फिर सब पल में भूल जाना

जाके सड़क पर खेलना
भरी धूप  में मस्ती करना
और फिर झगड़ते हुए घर आना

कितनी प्यारी हैं ये यादें
कितने प्यारे हैं ये पल
और उससे भी प्यार है ये रिश्ता 

यही दोस्ती तेरी
जो आज भी मेरे पास है
और इसीलिए तू आज भी सबसे खास है !!