एक कशिश रह गई
हर दिल में बाकी
हर दिल में था एक तूफां
हर दिल में थी एक आस
कि एक दिन वो उठ खड़ी होगी
और लेगी बदला अपने गुनहगारों से
पर नहीं हुआ कुछ भी ऐसा
बुझ गई वो लौ आज
अब कौन लेगा बदला
और कौन करेगा इन्साफ
बस छोड़ गई हर दिल में
एक सवाल
बेटी को ज़न्म दें या सिर्फ बेटों को??
हर दिल में बाकी
हर दिल में था एक तूफां
हर दिल में थी एक आस
कि एक दिन वो उठ खड़ी होगी
और लेगी बदला अपने गुनहगारों से
पर नहीं हुआ कुछ भी ऐसा
बुझ गई वो लौ आज
अब कौन लेगा बदला
और कौन करेगा इन्साफ
बस छोड़ गई हर दिल में
एक सवाल
बेटी को ज़न्म दें या सिर्फ बेटों को??
बहुत सुन्दर बहुत बढ़िया संदर्भ को सामने लाया गया है
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई
sundar aur sateek rachna.. very poignant..
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ReplyDeleteकल 18/जनवरी/2015 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !
Thank u Yashwant ji!!!
Deleteगुनहगारों को कभी न कभी सजा जरूर मिलती हैं ऊपर वाला भले से देर से इन्साफ करे लेकिन ऐसी जन्म में उन्हें सजा जरूर मिलती हैं ....
ReplyDeleteसार्थक चिंतन प्रस्तुति