एक कशिश रह गई
हर दिल में बाकी
हर दिल में था एक तूफां
हर दिल में थी एक आस
कि एक दिन वो उठ खड़ी होगी
और लेगी बदला अपने गुनहगारों से
पर नहीं हुआ कुछ भी ऐसा
बुझ गई वो लौ आज
अब कौन लेगा बदला
और कौन करेगा इन्साफ
बस छोड़ गई हर दिल में
एक सवाल
बेटी को ज़न्म दें या सिर्फ बेटों को??
हर दिल में बाकी
हर दिल में था एक तूफां
हर दिल में थी एक आस
कि एक दिन वो उठ खड़ी होगी
और लेगी बदला अपने गुनहगारों से
पर नहीं हुआ कुछ भी ऐसा
बुझ गई वो लौ आज
अब कौन लेगा बदला
और कौन करेगा इन्साफ
बस छोड़ गई हर दिल में
एक सवाल
बेटी को ज़न्म दें या सिर्फ बेटों को??