कब्र खोदने से सुकून नहीं मिलता
न ही ज़िन्दगी की खोई हुई वो शाम !
खुद को बदलने के लिए हौंसला ही काफी है
मिलता नहीं मांगने से वो आसमाँ !
फ़रिश्ते हमें मिलते नहीं यूँ ही
न ही मिलता है ज़िन्दगी का वो एहसास !
काश कि ऐसा होता काश कि वैसा होता
उम्मीदों का ताना बाना कुछ ऐसा ही होता है !
जो मिलें हैं ये पल नसीब से
वो कुछ तुम्हारे हैं और कुछ हमारे !
न डालो फ़िक्र की राख अब तुम इनपे
कि अब वक़्त नहीं है फिर धूमिल होने का !!
Waah kya khub likha hai.
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteसुन्दर शब्द रचना
ReplyDeleteनव बर्ष की शुभकामनाएं
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