Passionate about poetry, nature and human psychology. A wanderer, firm believer of creativity, the best quality a person can acquire in his lifetime. This is the blog of Pratibha Verma.
Thursday, March 19, 2015
वक़्त को वक़्त की क्या जरूरत...
कहतें हैं वक़्त हर
जख्म को भर देता है
फिर वक़्त को वक़्त की
क्या जरूरत !!!
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (20-03-2015) को "शब्दों की तलवार" (चर्चा - 1923) पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ... सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (20-03-2015) को "शब्दों की तलवार" (चर्चा - 1923) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बढ़िया ..
ReplyDeleteवक़्त शायद फिर से जख्म भरने चले आता है ..
सुन्दर पंक्तियाँ
ReplyDeleteवक्त को नहीं,जख्म को है।
ReplyDeleteबहुत खूब...
ReplyDeleteसच कहा ... वक्त अपने आप में सम्पूर्ण है ...
ReplyDeleteबहुत खूब, मंगलकामनाएं आपको !
ReplyDeleteबहुत खूब...
ReplyDeleteपर वक़्त तो लगता हैं...
बहुत सुन्दर सृजन, बधाई
ReplyDeleteमेरे ब्लाग पर भी आप जैसे गुणीजनो का मार्गदर्शन प्रार्थनीय है
बहुत खूब। कृप्या समय निकाल कर नई पोस्ट हम सबको दीजिए।
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