कैसे शुभकामनाएं दूँ तुमको
इस गड्तंत्र दिवस की
बोलो कोई है वज़ह
हमारा भारत आज भी तो वहीं है
जहाँ कल था
जाके देखो उन गाँव में
जहाँ आज भी बिजली
की ज़गह दिया जलता है
उन मिट्टी की दीवारों
से आज भी बारिश
में पानी अन्दर आता है
तब अपने तन को
ढकने के बजाय
वो आज भी अपने
जानवरों को ढकते है
उस कोमल मन को
आज भी ये जानवर
बच्चों की तरह ही प्यारे हैं
आज भी राशन की
लम्बी लाइन लगाना
और घंटों बाद ये पता चलना
की आज भी बंद है
किस हक़ की बात करें हम आज
जो किसी को मिला ही नहीं
बस कुछ एक नेताओं
की झोली में समिटकर
ख़त्म हो जाता है।।