क्या लिंखुँ अब खुद से
क्या कहूं तुमसे
कि अब शब्द नहीं मिलते!!
कुछ कहने की चाहत तो है
पर शायद तुम सुन न पाओगे
अब कहने सुनने को शब्द नहीं बचते !!
वक्त का पहरा भी
कुछ इस कदर है हमपे
कि कुछ लिखने को पल नहीं मिलते!!
लिखने की कोशिश की
तो लिख भी न पाई
कि इस दिल में ख्वाब नहीं रहते !!
क्या कहूं तुमसे
कि अब शब्द नहीं मिलते!!
कुछ कहने की चाहत तो है
पर शायद तुम सुन न पाओगे
अब कहने सुनने को शब्द नहीं बचते !!
वक्त का पहरा भी
कुछ इस कदर है हमपे
कि कुछ लिखने को पल नहीं मिलते!!
लिखने की कोशिश की
तो लिख भी न पाई
कि इस दिल में ख्वाब नहीं रहते !!