Saturday, April 13, 2013

"आँसुओं के मोती"

आँसुओं के मोती हम पिरो न सके,
तुम्हारी याद में हम रो न सके।

जख्म कुछ इतना गहरा दिया तुमने,
कि  कोई दवा  उसे भर न सकी।

लोग कहतें हैं अपनों का प्यार भरता है,
ऐसे जख्मों को।

पर गर अपने ही जख्म दें ,
तो दवा कौन करे??

36 comments:

  1. आँसुओं के मोती हम पिरो न सके,
    याद में तुम्हारी हम रो भी न सके।
    जख्म इतना गहरा दिया तुमने,
    कि कोई दवा उसे भर न सके....

    बहुत बढ़िया उम्दा प्रस्तुति,आभार,,प्रतिभा जी,,

    Recent Post : अमन के लिए.

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  2. बात तो सही है ... सुंदर पंक्तियाँ

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार (14-04-2013) के जय माँ शारदा : चर्चा मंच 1214 (मयंक का कोना) पर भी होगी!
    अम्बेदकर जयन्ती, बैशाखी और नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
    सूचनार्थ...सादर!

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  4. बहुत - बहुत शुक्रिया शास्त्री जी ...

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  5. जख्म कुछ इतना गहरा दिया तुमने,
    कि कोई दवा उसे भर न सकी। अपने वास्तव में अपने होते हैं तो कभी जख्म नहीं देते .......बहुत अच्छा सृजन ....

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  6. सुंदर प्रस्तुति .....बेहतरीन रचना !!

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  7. सुंदर प्रस्तुति .....बेहतरीन रचना !!

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  8. सुंदर प्रस्तुति .....बेहतरीन रचना !!

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  9. सुंदर रचना बधाई
    सादर मेरे अंगना पधारें
    ''माँ वैष्णो देवी ''

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  10. आँसुओं के मोती हम पिरो न सके,
    तुम्हारी याद में हम रो न सके।
    बहुत ही उत्कृष्ट प्रस्तुति,आभार.

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  11. बेहद भावपूर्ण रचना, हार्दिक बधाई........

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  12. रब और अपनी आत्म-शक्ति ...।
    गैरों को क्या पता कष्ट कैसे होगा ....

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  13. बहुत उम्दा प्रस्तुति,आभार प्रतिभा जी।

    -आइये जानते है नवरात्रि के खान -पान के बारे में-

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  14. अपने कभी जख्म दें तो सबसे बडी दवां समय ही होता है। समय के चलते घांव भरते हैं उन पर पपडी जमती है। और समय बितने के बाद घांव देने वाले को जब पता चलता है 'मैंने घांव दिया था' तब उसके वापसी के साथ जख्म मिटना भी हो सकता है।
    पर अपेक्षा यह कि प्रेम में कोई किसी को घांव नहीं दे।

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  15. अपनों के जख्म की दवा आसानी से नहीं मिलतो .. समय ही भरता है ये दर्द ...
    भाव मय रचना ...

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  16. प्रतिभा जी ये तो सही कहा आपने जब अपने ही जख्म दे फिर दवा कौन करे ... लेकिन समय के साथ ऐसे जख्म भी भर जाते हैं .. बहुत बढ़िया रचना बधाई ..

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  17. भावपूर्ण रचना, बधाई....

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  18. सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार नवसंवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनायें हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

    BHARTIY NARI
    PLEASE VISIT .

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  19. सुन्दर पंक्तियाँ.

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  20. सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति ..बधाई....

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  21. वाह ... बेहतरीन

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  22. प्रतिभा जितनी सुन्दर आप स्वयं हैं उतनी ही सुन्दर आपकी रचनाएँ और उनकी शब्दावली होती है | बहुत ही रोचक कविता | पढ़कर ह्रदय पुलकित हो गया | आभार | बहुत समय बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ पता नहीं आपके ब्लॉग अपडेट मेरे पास नहीं आ पा रहे हैं | इसलिए क्षमा चाहूँगा | बेहद उम्दा प्रस्तुति |

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  23. कभी कभी दर्द ही दवा बन जाती है ...

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  24. गहन अनुभूति
    सुंदर रचना
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    बधाई

    आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों

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  25. अपनों के दिए ज़ख्म वक्त भरता है....

    अनु

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  26. बहुत ही बढ़िया



    सादर

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  27. अपनों के जख्म की दवा ,सुंदर रचना बधाई....
    सुन्दर पंक्तियाँ.बहुत ही रोचक कविता .....
    गहन अनुभूति,बेहतरीन
    सादर

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  28. kafi achchha laga ise pad ke....

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  29. बहुत ही गहरे भावो की अभिवयक्ति......

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  30. वाह !!!बहुत सुन्दर ...

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  31. Anonymous4:48 PM

    वाह !!!बहुत सुन्दर ...

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