हम ज़िन्दगी से ऐसे क्यों हार जाते हैं,
एक ही पल में सारा जहाँ झोड़ जातें हैं|
क्या चाहत है हमारी ज़िन्दगी से ,
हम उस पल वो भी भूल जातें हैं|
लोग कहतें हैं ये तो खेल है कुदरत का ,
ये तो किस्मत में लिखा है उस खुदा ने|
अगर कहीं खुदा है इस जहाँ में,
तो वो इतना बड़ा दर्द हमें कैसे दे पाता है||
एक ही पल में सारा जहाँ झोड़ जातें हैं|
क्या चाहत है हमारी ज़िन्दगी से ,
हम उस पल वो भी भूल जातें हैं|
लोग कहतें हैं ये तो खेल है कुदरत का ,
ये तो किस्मत में लिखा है उस खुदा ने|
अगर कहीं खुदा है इस जहाँ में,
तो वो इतना बड़ा दर्द हमें कैसे दे पाता है||
यही तो उसकी कारीगरी है हिम्मत बनाये रखिये
ReplyDeleteसच सोचने वाली बात है ....
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यहाँ आपका स्वागत है
गुननाम
अभी सुख है ,अभी दुःख है ,अभी क्या था ,अभी क्या है ,
ReplyDeleteजहां दुनिया बदलती है उसी का नाम दुनिया है .
बड़े अरमान से वायदों ने दिल में घर बसाया था ,
वो दिन जब याद आते हैं कलेजा मुंह को आता है ,
मोहब्बत करके भी देखा मगर उसमें भी धोखा है
यही फलसफा है रवायत है रोज़ नामचा है ,दैनिकी है ,रूटीन है ज़िन्दगी का .हार कैसी ,जीत कैसी ?
"हम ऐसे क्यों हार जातें हैं......
हम ज़िन्दगी से ऐसे क्यों हार जाते हैं,
एक ही पल में सारा जहाँ झोड़ जातें हैं|"............छोड़ जाते हैं .....
गम न कर ज़िन्दगी पड़ी है अभी ,
कोई ताज़ा हवा चली है अभी ......
दिल में एक लहर सी उठी है नै .....
यही हैं ज़िन्दगी के रंग
कोई आ रहा है ,कोई जा रहा है ,
ये ज़िन्दगी के मेले .दुनिया में कम न होंगे ,
अफ़सोस हम न होंगें ....
बढ़िया अभिव्यक्ति ....जीत कैसी हार कैसी ..पकड़ा क्या जो छोड़ेंगे ...नदिया के संग बहना
है ,
....
बहुत सही कहा प्रतिभा जी।
ReplyDeleteसादर
कल 13/अगस्त/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
Thank u...
Deleteअगर कहीं खुदा है इस जहाँ में,
ReplyDeleteतो वो इतना बड़ा दर्द हमें कैसे दे पाता है||
u r right