ऐ ज़िन्दगी तुझे मैं क़रीने से बयां करुँगी
हर एक किस्से को सलीके से लिखूंगी
इन राहों पे चलते चलते
कभी थकान नहीं लगती
फिर तूने लाख कोशिश क्यों न कर ली हो
मेरे हर सफर को मुश्किल बनाने की
पर मैंने कभी हार नहीं मानी
न ही कभी थमी बस चलती गई
तबियत से बयाँ करुँगी हर वो किस्सा
हर लफ्ज़ को बड़े ही किफ़ायत से लिखूंगी
ऐ ज़िन्दगी तुझे...
मौके बहुत आये
जब तूने मेरे हर मोड़ पे तूफ़ां लाये
तूने हर कोशिश कर ली
मुझे हराने की, लाचार बनाने की
पर मैं भी हिम्मत की पक्की निकली
देख तेरे सामने डट के खड़ी हूँ आज
ऐ ज़िन्दगी तुझे...
तेरी ख़ुशी का अन्दाज़ा भी लगा सकती हूँ
तू आज हंस रही है अपनी ही हार पे
फ़क्र है तुझे मेरी हिम्मत पे
गुरुर है तुझे मेरे हर जज़्बे पे
हाँ तूने मुझे जीना सिखा दिया
हर जंग में जीतना सिखा दिया !
ऐ ज़िन्दगी तुझे मैं क़रीने से बयां करुँगी !!
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार ७ दिसंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत सुन्दर प्रतिभा जी ! अल्लामा इक़बाल ने कहा है -
ReplyDeleteख़ुदी को कर बुलंद इतना, कि हर तक़दीर से पहले,
ख़ुदा, बन्दे से ख़ुद पूछे, बता, तेरी रज़ा क्या है.
वाह !जिन्दगी से बड़ा प्रेरक आह्वान !!!!!!!!
ReplyDeleteवाह बहुत सुन्दर ! जिंदगी को जीने का जज्बा हो तो हर चीज अपने हिसाब से हो सकती है बस हौसला होना चाहिये ।
ReplyDelete