ये दुनिया बड़ी अजीब है 
यहाँ खुद मिटकर खुद को पाना  होता है
लोगों की इस भीड़ में 
एक झूठा चेहरा दिखाना होता है 
खुद को गवां बैठे हैं हम 
कुछ कर दिखाने के चक्कर में 
हम तो बदलना नहीं चाहते थे 
हमें तो हालातों ने बदला है 
हम तो यह भी भूल चुके हैं... 
कि क्या बनने आये थे 
और क्या बन गए के रह गए हैं 
ज़िन्दगी की इस भागदौड़ में 
सही तो कहा है किसी ने 
कि यहाँ खुद मिटकर 
खुद को पाना  होता है !!!
 
thank you so much..
ReplyDeleteयही कशमकश और यही फ़साना है
ReplyDeleteखुद को मिटाकर ही खुद को पाना है
सच लिखा है ... सब कुछ मिटाना होता है खुद को पाने के लिए यहाँ .... अच्छी पंक्तियाँ हैं ...
ReplyDeleteबढ़िया रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
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