Tuesday, October 22, 2013

कुछ पल बेफिक्री के …

कुछ पल तो बेफिक्री के
बिताओ कभी यारों के साथ,

बिना किसी चिंता बिना किसी डर  के 
बेसुरे राग में कुछ तो गुनगुनाओं यारों के साथ 

कभी रातों में सड़क पर निकल के 
चाय की चुस्कियां लगाओ यारों के साथ 

कभी बिना बुलाये मेहमान की तरह 
दोस्तों के घर पहुँच जाओ बिना बताये 

यही तो वो दिन हैं वो उम्र है 
जहाँ हम हैं यारों के साथ 

फिर क्यों  न कुछ पल बेफिक्री के 
बिताओं यारों के साथ !!

8 comments:

  1. Anonymous2:26 PM

    खुश रहने के कारगर नुख्से

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  2. बहुत खूब

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  3. आज की मारामारी में कुछ पल का सुकून तो ऐसे ही मिलेगा ... बेफिक्री के कुछ पल ढूंढती सुन्दर रचना ...

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  4. कुछ तो बेफिक्री के पल होने ही चाहिए जीवन में,
    बहुत प्यारी रचना आभार !

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  5. कुछ पल तो बेफिक्री के
    बिताओ कभी यारों के साथ,

    बिना किसी चिंता बिना किसी डर के
    बेसुरे राग में कुछ तो गुनगुनाओं यारों के साथ
    क्‍या बात है .... सुन्‍दर भाव‍ लिये बेहतरीन प्रस्‍तुति

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  6. काश आज की भाग दौड़ से भरी ज़िंदगी में कुछ पल बेफिक्री के बिता पायें दोस्तों के साथ...बहुत सुन्दर

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  7. Kuch Pal Ki hai Zindagani.

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