हाँ मुझे फ़क्र है
खुद के आस्तित्व पे
गुरूर है...
खुद के वज़ूद पे
घमंड है उस जननी पे
जिसने इस दुनिया में
लाने का हौंसला दिखाया
और अपने आँचल की
छाँव में रखकर...
इस ज़माने से बचाया
शुक्रिया अदा करती हूँ
उस जननी को
जिसने आंधी बनकर
मेरे आस्तित्व को बचाया
हाँ ख़ुश हूँ मैं...
कि हे जननी तूने मुझे
नारीत्व का एहसास कराया !!
खुद के आस्तित्व पे
गुरूर है...
खुद के वज़ूद पे
घमंड है उस जननी पे
जिसने इस दुनिया में
लाने का हौंसला दिखाया
और अपने आँचल की
छाँव में रखकर...
इस ज़माने से बचाया
शुक्रिया अदा करती हूँ
उस जननी को
जिसने आंधी बनकर
मेरे आस्तित्व को बचाया
हाँ ख़ुश हूँ मैं...
कि हे जननी तूने मुझे
नारीत्व का एहसास कराया !!