माना कि ज़िन्दगी आसाँ नहीं होती,
जब जीने की कोई वजह नहीं होती!
अधूरे लम्हों की अधूरी कहानी सी लगती है,
अपनी ही दास्ताँ बेगानी सी लगती है !
माफ़ कर सको तो कर देना उस शक्स को,
वरना ज़िन्दगी हमारी नहीं लगती है !!
Passionate about poetry, nature and human psychology. A wanderer, firm believer of creativity, the best quality a person can acquire in his lifetime. This is the blog of Pratibha Verma.