Passionate about poetry, nature and human psychology. A wanderer, firm believer of creativity, the best quality a person can acquire in his lifetime. This is the blog of Pratibha Verma.
Thursday, June 16, 2016
Sunday, June 12, 2016
दिल टूटने का ज़िक्र हम करना नहीं चाहते ...
दिल टूटने का ज़िक्र हम करना नहीं चाहते
तुम्हारी यादों के साये में हम रहना नहीं चाहते
वक़्त रहते ही संभलने की कोशिश करेंगे हम
इस खुदगर्ज़ दुनिया में बेवक़्त मरना नहीं चाहते हम !!!
तुम्हारी यादों के साये में हम रहना नहीं चाहते
वक़्त रहते ही संभलने की कोशिश करेंगे हम
इस खुदगर्ज़ दुनिया में बेवक़्त मरना नहीं चाहते हम !!!
Wednesday, June 01, 2016
डरती हूँ ...
सीप में मोतियों की तरह
सजाया है तुझे इस दिल में
डरती हूँ कि कहीं
तुझे कोई चुरा न ले !!!
सजाया है तुझे इस दिल में
डरती हूँ कि कहीं
तुझे कोई चुरा न ले !!!
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