कुछ हसरतें रह गई बाकी
कुछ अरमान रह गए अधूरे
कुछ सपने तुम्हारे थे
कुछ सपने हमारे थे,
संजोया था हमने
मिलके जिनको,
फिर कहाँ से ये तूफां आया
जिसे हम रोक न सके,
हमारे अरमानों की कश्ती
बह गई उस तूफां में,
न दोष तुम्हारा था
न हमारा,
कमबख्त तूफां ही
गलत वक्त पर आया।।
कुछ अरमान रह गए अधूरे
कुछ सपने तुम्हारे थे
कुछ सपने हमारे थे,
संजोया था हमने
मिलके जिनको,
फिर कहाँ से ये तूफां आया
जिसे हम रोक न सके,
हमारे अरमानों की कश्ती
बह गई उस तूफां में,
न दोष तुम्हारा था
न हमारा,
कमबख्त तूफां ही
गलत वक्त पर आया।।