चलो फिर अज़नबी बन जाए हम
छोड़ ये गलियां घर लौट जाए हम!!
परेशानिओं से परे हटकर
बेफ़िक्री की ज़िन्दगी बिताएं हम!
चलो फिर अज़नबी बन जाए हम
छोड़ ये गलियां घर लौट जाए हम!!
जहाँ न हो तेरा साया जहाँ न हो तेरी यादें
न ही हों वो बातें न ही हों वो मुलाकातें!
चलो फिर अज़नबी बन जाए हम
छोड़ ये गलियां घर लौट जाए हम!!
क्या रखा है इन पलों में जो सजोये बैठें हैं
क्यों न एक नया आशियाँ बनायें हम!
चलो फिर अज़नबी बन जाए हम
छोड़ ये गलियां घर लौट जाए हम!!
जहाँ हों नई बातें नई यादें
न कोई गिला न कोई शिकवा हो!
चलो फिर अज़नबी बन जाए हम
छोड़ ये गलियां घर लौट जाए हम!!
मुबारक हो तुम्हे ये जहाँ
हम भी ख़ुशी ढून ही लेंगे!
चलो फिर अज़नबी बन जाए हम
छोड़ ये गलियां घर लौट जाए हम!!