बहुत रो लिए तुम्हारी बेवफाई पे
बहुत लड़ लिए खुद से,
हज़ारों कदम बढ़ाये हमने
तुम्हारी तरफ आने को।
पर तुम मुर्दे बने
वहीं खड़े रहे,
न आई तुममें जान
कि बढ़ कर मेरा हाँथ थामते।
खुद को कोसा मैंने
कि क्यों कर रही हूँ इतनी कोशिश,
फिर समझा कुछ तो रिश्ता बचा था अभी।
हाँ अब मैं भी तोड़ना चाहती हूँ,
इस रिश्ते को
और अब लौट जाने की बारी हमारी है।
न बढ़ाउंगी अब कोई कदम
न ही होंगी अब तुम्हारी यादें
बस अब पीछे हटने की बारी हमारी है।।