कभी फुरसत में मिलें पल तो हमें बताना
हमारे पास आकर दो लफ्ज़ कह जाना
इस जहाँ में कहाँ है वक्त किसी के पास
मगर तुम तो कुछ पल मेरे साथ बिताना
हमसफ़र हो तो साथ ही चलना
गैरों की तरह यूँ तन्हा न छोड़ना
कहतें हैं की अँधेरे में साया भी साथ छोड़ देता है
पर तुम ऐसे अंधेरों से मुझे बचाना
जब कभी निराशाओं से घिरुं मैं
मेरा हाँथ थाम कर बाहर ले आना !!
हमारे पास आकर दो लफ्ज़ कह जाना
इस जहाँ में कहाँ है वक्त किसी के पास
मगर तुम तो कुछ पल मेरे साथ बिताना
हमसफ़र हो तो साथ ही चलना
गैरों की तरह यूँ तन्हा न छोड़ना
कहतें हैं की अँधेरे में साया भी साथ छोड़ देता है
पर तुम ऐसे अंधेरों से मुझे बचाना
जब कभी निराशाओं से घिरुं मैं
मेरा हाँथ थाम कर बाहर ले आना !!