कभी- कभी चाँद से करती हूँ बातें
कुछ अपनी कहती हूँ
कुछ उसकी सुनती हूँ
हम घंटों बैठतें हैं साथ
खामोश रातों में
तन्हाई में
कुछ शिकायतें
और कुछ शिकवों के साथ
हकीकत से परे
बस अपनी ही दुनिया में
जहाँ होते हैं मेरे
बहुत सारे सवाल
और मेरे खुद के
कुछ एक जवाब!!