Thursday, July 10, 2014

एक सूरत बनाई है...

सोंचती हूँ तुम्हारे बारे में
तुम्हारी सूरत के बारे में...

एक धुंधली सी तस्वीर बनाई है
पर समझ नहीं आता
कि तुम कौन हो।

जो भी हो
दिल के बहुत अच्छे हो
मन के बहुत सच्चे हो ।

नहीं पता तुम्हारी खूबियाँ
नहीं पता
तुम्हारी कमजोरियाँ ।

अभी अधूरी है
तस्वीर तुम्हारी
तो क्या हुआ ।

जिस दिन पूरी होगी
बताऊँगी  तुमको
तुम्हारे ही बारे में ।

मिलाऊँगी  तुमको तुमसे ही
तुम्हारी एक नई  पहचान
कराऊँगी तुमसे ही ।

बस इतना ही कहना है
अभी तुमसे…

जब मिलूँगी  तब बताऊँगी
कुछ अपने बारे में
और कुछ तुम्हारे बारे में ।

बस अभी तो तस्वीर पूरी करनी है
ताकि मिल सकूँ तुमसे
और मिला सकूँ तुमको तुमसे।।


8 comments:

  1. अनुपम शब्‍द संयोजन ....

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  2. बेहद सुन्दर रचना। प्रतिभा जी।

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  3. बहुत बढ़िया प्रतिभा जी!

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  4. कोमल अहसासों की बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...

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  5. सुंदर शब्द , सुन्दर भाव..

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