Wednesday, October 24, 2018

नहीं उतार सकते तुम्हारा ये कर्ज !!

ज़माने हो गए तुमको ये बताये हुए 
कि तुम्हारा खयाल आता है मुझे 
पर कभी - कभी वक़्त की कमी 
हो जाती है... 
फ़िक्र तुम्हारी आज भी उतनी ही है 
जितनी कल किया करते थे 
और वादा रहा कि 
ताउम्र करते रहेंगे 
तुम फौलाद हो 
तुम आग का दरिया हो 
तुम कमजोर नहीं थी 
न ही कभी हम होने देंगे 
बन के परछाईं तुम्हारी 
हर वक़्त तुम्हारे साथ 
खड़े होंगे !
नहीं दे सकती हिसाब 
उन अनगिनत रातों का 
जब तुम्हारी नींद उड़ा  के 
हम खुद चैन से सोए हैं 
तुमने अपने आँखों के 
आंसू छुपा के 
हमारे चेहरे पे 
ये जो मुस्कान दी है 
नहीं उतार सकते तुम्हारा ये कर्ज 
बस एक वादा करते हैं 
कभी तुम्हारी आंखों को 
अब फिर से नम न होने देंगे 
हाँथ पकड़ के तुम्हारा 
हर वक़्त साथ खड़े होंगे !!

Tuesday, October 02, 2018

वो बेफिक्री की ज़िन्दगी लौटा दो...

वो जो बेफिक्री की ज़िन्दगी जीनी थी मुझे 
जो दब गई थी कहीं ज़िम्मेदारियों के तले 
या यूँ कहूँ वक़्त की मांग थी 
या किस्मत का दस्तूर 
हाँ वही जो पीछे छूट गई है 
जो शायद अभी भी 
मेरा इंतज़ार कर रही है ! 
बाहें खोले आज भी 
मुझे बुला रही है 
हाँ वो लम्हे एक बार तो जीने हैं 
फिर से वो बेफिक्री वाली ज़िन्दगी जीनी है 
बोलो न तुम मेरा साथ दोगे न 
ले जाऊँगी तुम्हे 
तुम्हारे बचपन में 
जहाँ तुम छुप - छुप के 
शरारत किया करते थे 
तुम्हे तुम्हारी उस दुनिया से 
फिर एक बार रूबरू करना है !
हाँ... 
माना कि तुमने अपने हिस्से की 
ज़िन्दगी तो जी ली... 
कोई नहीं चलो मैं तुम्हे अपने 
बचपन से मिलाती हूँ 
वो बेफिक्री की ज़िन्दगी जीने का 
एक और मौका देती हूँ !
माना कि तुम्हे परेशां बहुत करुँगी 
वो रात में उठ के आइस्क्रीम खाने की 
ज़िद भी कर सकती हूँ 
और कभी लॉन्ग ड्राइव पे जाने की चाहत !
बोलो न दोगे न मेरा साथ 
वो रात में खुले आसमाँ के नीचे 
तारों से भरी चादर के तले 
हाँथ पकड़ के 
घंटों समन्दर किनारे की रेत पे 
भी चलना पड़ सकता है !
पर वादा करती हूँ...
सुनूँगी तुम्हे और समझूँगी भी 
तुम्हारे हिस्से का वक़्त भी तुम्हे दूँगी !
पर वो ज़िन्दगी...  
जो मुझसे कहीं पीछे छूट गई है 
वो जीने का मौका दिला दो 
फिर मुझे एक बार 
वो लम्हे लौटा दो 
अब बोलोगे कि...
मैं तुमसे ही क्यों कह रही हूँ  
अरे तुम्हे तो एक मौका दे रही हूँ 
खुद से मिलाने का 
खुद से रूबरू कराने का !
मेरी उल्टी सीधी  शरारतों से 
तुमको मिलाने का 
फिर तुम भी कहीं न कहीं 
याद ही करते होगे 
वो बचपन की शैतानी 
वो स्कूल की कहानी 
तुम भी तो कुछ बताओगे 
जब मेरे साथ वो वक्त बिताओगे !
एक मौका मुझे भी मिलेगा 
तुम्हारे और नज़दीक आने का 
तुम्हे करीब से पहचानने का 
तुम्हारा हाँथ पकड़ के 
जब भी कोई उल्टी सीधी ज़िद करुँगी 
तुम्हे भी मज़ा आएगा 
मुझे सताने का और मनाने का !
वो बेफिक्री की ज़िन्दगी लौटा दो 
एक बार उसे फिर से जीने का 
बस एक और मौका दिला दो !!