हाँ ये मैं ही हूँ
जो कल थी लाचार सी...
तुम्हारे सामने
हर बात से डरती
हर बात से घबराती।
कुछ होता तो
तुम्हारे साये में आके
चुपके से छुप जाती ।
बिना किसी
बात के
यूँ ही डर जाती ...
पर आज मैं
बदल गई हूँ
हाँ मैं बदल गई हूँ ।
न है कुछ खोने का डर मुझे
न है कुछ पाने की चाहत
अब मुझमें ।
तुम न सही तो
तुमसा भी नहीं चाहिए
क्योंकि होगा वो भी...
एक इन्सान
शायद तुम्हारे जैसा
जो कल थी लाचार सी...
तुम्हारे सामने
हर बात से डरती
हर बात से घबराती।
कुछ होता तो
तुम्हारे साये में आके
चुपके से छुप जाती ।
बिना किसी
बात के
यूँ ही डर जाती ...
पर आज मैं
बदल गई हूँ
हाँ मैं बदल गई हूँ ।
न है कुछ खोने का डर मुझे
न है कुछ पाने की चाहत
अब मुझमें ।
तुम न सही तो
तुमसा भी नहीं चाहिए
क्योंकि होगा वो भी...
एक इन्सान
शायद तुम्हारे जैसा
या तुमसे अच्छा।।
वाह .... बेहतरीन
ReplyDeleteलाजवाब
ReplyDeleteyahi atmvishwas ..jeet ke dagar par le jata hai .....
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