Wednesday, July 30, 2014

वो कच्ची पक्की सी यादें ...

याद हैं मुझे तुम्हारे साथ
बिताये हर पल
जिनमें तुम थे
और हमारा छोटा
सा परिवार
हँसता खेलता
एक प्यारा सा
संसार
वो बचपन की यादें
वो मेरी सरारतें
तुमको दुखी करके
मेरा वो खुश हो जाना
फिर प्यार से तुम्हारे
पास आके तुम्हारे
गले से लग जाना
मुझे माफ़ करके
तुम्हारा वो खुश हो जाना 
वो कच्ची पक्की सी यादें
क्यों कर रही हैं
परेशाँ  मुझे
आखिर आज क्यों
तुम इतना याद आ
रहे हो
बचपन की हर याद को
मेरे सामने ला रहे हो
रोने का मन तो बहुत है
पर मुझे रोना नहीं है
हाँ मुझे पता है
मैं कमजोर हो रही हूँ
पर क्या करूँ मैं भी
तो आखिर एक इंसान हूँ। ।




12 comments:

  1. दिल को छूती भावपूर्ण रचना...

    ReplyDelete
  2. बहुत बढ़िया

    ReplyDelete
  3. ये यादों का कसूर है जो दिल में रहती हैं और उसे कमजोर करती हैं ...
    पर बाहर फैंकी भी तो नहीं जाती ...

    ReplyDelete
  4. यादेम कमजोर भी करती हैं और चट्टान भी बनाती हैं,तभी तो हम आग का दरिया भी
    पार कर जाते हैं उससे मिलने के लिये जिसकी याद हमें आती है.

    ReplyDelete
  5. दिल को छूती भावपूर्ण रचना...

    ReplyDelete
  6. काश ! की यादें rewards button होती जिंदगी का :)

    बहुत शानदार लेखनी

    ReplyDelete
  7. दिल को छूती बहुत ही बढ़िया रचना...

    ReplyDelete
  8. सुंदर रचना,,,

    ReplyDelete
  9. सुंदर रचना

    ReplyDelete