याद हैं मुझे तुम्हारे साथ
बिताये हर पल
जिनमें तुम थे
और हमारा छोटा
सा परिवार
हँसता खेलता
एक प्यारा सा
संसार
वो बचपन की यादें
वो मेरी सरारतें
तुमको दुखी करके
मेरा वो खुश हो जाना
फिर प्यार से तुम्हारे
पास आके तुम्हारे
गले से लग जाना
मुझे माफ़ करके
तुम्हारा वो खुश हो जाना
वो कच्ची पक्की सी यादें
क्यों कर रही हैं
परेशाँ मुझे
आखिर आज क्यों
तुम इतना याद आ
रहे हो
बचपन की हर याद को
मेरे सामने ला रहे हो
रोने का मन तो बहुत है
पर मुझे रोना नहीं है
हाँ मुझे पता है
मैं कमजोर हो रही हूँ
पर क्या करूँ मैं भी
तो आखिर एक इंसान हूँ। ।
बिताये हर पल
जिनमें तुम थे
और हमारा छोटा
सा परिवार
हँसता खेलता
एक प्यारा सा
संसार
वो बचपन की यादें
वो मेरी सरारतें
तुमको दुखी करके
मेरा वो खुश हो जाना
फिर प्यार से तुम्हारे
पास आके तुम्हारे
गले से लग जाना
मुझे माफ़ करके
तुम्हारा वो खुश हो जाना
वो कच्ची पक्की सी यादें
क्यों कर रही हैं
परेशाँ मुझे
आखिर आज क्यों
तुम इतना याद आ
रहे हो
बचपन की हर याद को
मेरे सामने ला रहे हो
रोने का मन तो बहुत है
पर मुझे रोना नहीं है
हाँ मुझे पता है
मैं कमजोर हो रही हूँ
पर क्या करूँ मैं भी
तो आखिर एक इंसान हूँ। ।
दिल को छूती भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteनई पोस्ट : अंखियां च तू वसदा
बहुत बढ़िया
ReplyDeletesundar prastuti...
ReplyDeleteये यादों का कसूर है जो दिल में रहती हैं और उसे कमजोर करती हैं ...
ReplyDeleteपर बाहर फैंकी भी तो नहीं जाती ...
Thank u...
ReplyDeleteयादेम कमजोर भी करती हैं और चट्टान भी बनाती हैं,तभी तो हम आग का दरिया भी
ReplyDeleteपार कर जाते हैं उससे मिलने के लिये जिसकी याद हमें आती है.
दिल को छूती भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteकाश ! की यादें rewards button होती जिंदगी का :)
ReplyDeleteबहुत शानदार लेखनी
दिल को छूती बहुत ही बढ़िया रचना...
ReplyDeleteसुंदर रचना,,,
ReplyDeleteसुंदर रचना
ReplyDelete