सोंचती हूँ तुम्हारे बारे में
तुम्हारी सूरत के बारे में...
एक धुंधली सी तस्वीर बनाई है
पर समझ नहीं आता
कि तुम कौन हो।
जो भी हो
दिल के बहुत अच्छे हो
मन के बहुत सच्चे हो ।
नहीं पता तुम्हारी खूबियाँ
नहीं पता
तुम्हारी कमजोरियाँ ।
अभी अधूरी है
तस्वीर तुम्हारी
तो क्या हुआ ।
जिस दिन पूरी होगी
बताऊँगी तुमको
तुम्हारे ही बारे में ।
मिलाऊँगी तुमको तुमसे ही
तुम्हारी एक नई पहचान
कराऊँगी तुमसे ही ।
बस इतना ही कहना है
अभी तुमसे…
जब मिलूँगी तब बताऊँगी
कुछ अपने बारे में
और कुछ तुम्हारे बारे में ।
बस अभी तो तस्वीर पूरी करनी है
ताकि मिल सकूँ तुमसे
और मिला सकूँ तुमको तुमसे।।
तुम्हारी सूरत के बारे में...
एक धुंधली सी तस्वीर बनाई है
पर समझ नहीं आता
कि तुम कौन हो।
जो भी हो
दिल के बहुत अच्छे हो
मन के बहुत सच्चे हो ।
नहीं पता तुम्हारी खूबियाँ
नहीं पता
तुम्हारी कमजोरियाँ ।
अभी अधूरी है
तस्वीर तुम्हारी
तो क्या हुआ ।
जिस दिन पूरी होगी
बताऊँगी तुमको
तुम्हारे ही बारे में ।
मिलाऊँगी तुमको तुमसे ही
तुम्हारी एक नई पहचान
कराऊँगी तुमसे ही ।
बस इतना ही कहना है
अभी तुमसे…
जब मिलूँगी तब बताऊँगी
कुछ अपने बारे में
और कुछ तुम्हारे बारे में ।
बस अभी तो तस्वीर पूरी करनी है
ताकि मिल सकूँ तुमसे
और मिला सकूँ तुमको तुमसे।।
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (11.07.2014) को "कन्या-भ्रूण हत्या " (चर्चा अंक-1671)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
ReplyDeleteअनुपम शब्द संयोजन ....
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteनई पोस्ट : नयनों की भाषा
बेहद सुन्दर रचना। प्रतिभा जी।
ReplyDeletewah sundar rachna
ReplyDeletebehtareen!!!.....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रतिभा जी!
ReplyDeleteकोमल अहसासों की बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteसुंदर शब्द , सुन्दर भाव..
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