यादों से अपनी कह दो
थोड़ा कम सताया करें
वक़्त बेवक़्त हमें
यूं न रुलाया करें !
हमने कब कहा था
तुमसे दूर जाने को
फैसला तुम्हारा था
तो इन यादें को भी
तुम्ही सम्भालो !!!
थोड़ा कम सताया करें
वक़्त बेवक़्त हमें
यूं न रुलाया करें !
हमने कब कहा था
तुमसे दूर जाने को
फैसला तुम्हारा था
तो इन यादें को भी
तुम्ही सम्भालो !!!
''यादों से अपनी कह दो'' बहुत ही सुंदर कविता है।
ReplyDeleteयादें कहा नहीं मानतीं....किसी का भी नहीं....
ReplyDeleteवाह , मंगलकामनाएं यादों को !
ReplyDeleteयादें अक्सर तंग करती है ... उनकी होती हैं उनके साथ नहीं जाती ...
ReplyDeleteवाह क्या खूब कहा। ''यादों से अपनी कह दो, थोड़ा कम सताया करो''
ReplyDeleteसुंदर भावाभिव्यक्ति...रंग पर्व होली की रंग भरी शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत खूब..
ReplyDeleteतुमसे दूर जाने को
फैसला तुम्हारा था
तो इन यादें को भी
तुम्ही सम्भालो !!!