आज इस दोस्ती को
वर्षों बीत गए
नहीं पता कैसे
अदा करूँ
शुक्रिया तुम्हारा
कैसे बीते ये लम्हे
वक़्त का कुछ
पता ही न चला
हाँ पर इतना
याद है…
जब भी मुझे
तुम्हारी जरूरत थी
तुम हमेंशा मेरे पास थे
कभी कुछ कहने की
जरूरत नहीं पड़ी
तुमने हमेंशा ही
समझा मुझको
बिना कुछ कहे
हमेंशा साथ
खड़े थे तुम मेरे
मेरे पागलपन को
भी सराहा तुमने
माना कि बहुत
परेशां किया है तुमको
पर इस दोस्ती को
बहुत ही अज़ीज़ माना
है हमने !!!
बहुत सुंदर ...
ReplyDeleteदोस्ती को बहुत अज़ीज़ माना है मैंने भी।
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव...
ReplyDeleteदोस्त जो हर बात में साथ दे वही तो सच्चा दोस्त है ...
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना ..
कभी कुछ कहने की
ReplyDeleteजरूरत नहीं पड़ी
तुमने हमेंशा ही
समझा मुझको...
बहुत सूंदर.
http://themissedbeat.blogspot.in/?m=1
वाह...लाजवाब प्रस्तुति...
ReplyDeleteऔर@जा रहा है जिधर बेखबर आदमी
बहुत सुंदर
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सुन्दर रचना.
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण रचना!
ReplyDeleteBeautiful :)
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