हाँ अभी कुछ दिनों पहले
तुमने कहा था मुझसे कि
तुम्हारी हँसी अच्छी लगती है
जब उस दोराहे पे
मैं तुम्हारा हाँथ
थाम कर चल रही थी
तब तुमने मेरी
तरफ देखकर
कहा था…
हमेंशा यूँ ही
मुस्कराती रहना
क्यूंकि तुम हँसते
हुए अच्छी लगती हो
मैंने तुम्हारी आँखों में
एक फ़िक्र देखी थी
जो मेरे लिए थी
उस वक़्त मैंने तुम्हारी
बात को हँसी में टाल दिया था
पर वक़्त बेवक़्त ये बात
याद तो आती है मुझे
पर समझ नहीं पाई
कि तुम्हे मेरी इतनी
फ़िक्र क्यों है!!!
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (20.02.2015) को "धैर्य प्रशंसा" (चर्चा अंक-1895)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteThank You Sir ji...:)
Deleteबहुत सुंदर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : तुलसीदास की प्रथम कृति - रामलला नहछू
बहुत ही सुंदर और प्रेम को दर्शाती पंक्तिया .....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आप सभी लोगो का हार्दिक स्वागत है.
खूबसूरत।
ReplyDeleteअभिव्यक्ति पसंद आयी।
प्यार के अतिरेक में बहते कहे शब्द कई मायने निकाल जाते हैं ,खूबसूरत कृति प्रतिभा जी
ReplyDeleteप्रेम को कई बार समझना आसान कहाँ होता है ...
ReplyDeleteआज 25/फरवरी /2015 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
क्या बात है ......... दिल को छूने वाली पंक्तिया!
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