Wednesday, August 06, 2014

वो सावन के झूले ...


याद आते हैं वो सावन के झूले 
वो मिट्टी की खुशबू 

वो बारिश की बूंदे 
वो फूलों की महक 

वो चिड़िओं का चहकना 
वो मोर का नाचना 

वो सावन के गीत 
वो हथेली पे मेहँदी 

वो आम की डाली
वो कोयल की कूक 

घर की वो रौनक 
रसोईं की वो  महक  

हाँ बहुत याद आते हैं 
वो हँसी वो ठिठोली

वो सखियाँ वो झूले
और वो ख़ुशी के पल। 





14 comments:

  1. सुंदर प्रस्तुति...
    दिनांक 07/08/2014 की नयी पुरानी हलचल पर आप की रचना भी लिंक की गयी है...
    हलचल में आप भी सादर आमंत्रित है...
    हलचल में शामिल की गयी सभी रचनाओं पर अपनी प्रतिकृयाएं दें...
    सादर...
    कुलदीप ठाकुर

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 07-08-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1698 में दिया गया है
    आभार

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  3. वो खुशी के पल आपकी फोटो मे खूब झलक रहे हैं :) और आप आज भी उन यादों को महसूस कर के अनोखी खुशी महसूस कर सकती हैं।

    सादर

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  4. sach hume bhi......sundar pratuti

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  5. Bahut Sunder.... Smritiyan aisi hi hoti hain....

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  6. अच्छा लेखन
    ये जालिम सावन जो झूला देता है पुरानी यादों को

    :)

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  7. बहुत सुन्दर समसामयिक रचना।

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  8. हाँ बहुत याद आते हैं
    वो हँसी वो ठिठोली

    वो सखियाँ वो झूले
    और वो ख़ुशी के पल-----
    सावन का मनभावन सजीव चित्रण
    वाह बहुत सुन्दर
    बधाई ---

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  9. बेहतरीन ...रचना

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