तू ही बता कहाँ से शुरू करूँ
बचपन की वो खट्टी मीठी बातें
या हमारी बड़ी बड़ी सरारतें
वो हमारा झगड़ना
छोटी छोटी बातों पे तेरा मुझसे
रूठना,मनाना, शिकायतें
फिर मुहँ फुला के ये कहना
जाओ मुझे तुमसे
बात नहीं करनी
और थोड़ी देर बाद
दबी सी आवाज़ मे ये कहना
ओये प्रतिभा मैं अभी भी
नाराज़ हूँ, और ऐसे नहीं मनाने वाली
पूरी पूरी रात मेरे साथ जगना
मुझे नींद न आने पे
माँ की तरह सुलाना
मेरी हर बात को सुनना
मेरे परेशाँ हो जाने पर
तेरा भी परेशाँ हो जाना
सब याद है मुझे
क्या मिशाल दूँ
अपनी दोस्ती की
तू कल भी मेरे लिए ख़ास थी
और आज भी है।।
वाह क्या बात है प्रतिभा जी। बहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteफ्रेंडशिप डे की शुभ्कमना
गुजरों दिनों की ऐसी बातें मुख पर एक पूर्ण मुस्कान छोड़े बिना कहाँ जाती है.
ReplyDeleteअति सुंदर, दोस्ती तो दोस्ती होती है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteऐसी यादें जीवन की सबसे अनमोल धरोहर हैं...बहुत सुन्दर
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