तुम्हारी मासूम सी
सूरत देखकर
कुछ ख्याल आते हैं
मन में,
शायद कोई दर्द छुपा है
इस दिल में,
या हज़ारों राज़ दबे हैं
इन पलकों में,
तुम्हारी खामोश आँखे
कुछ कहती हैं मुझसे
शायद कुछ कहना
चाहती हैं
शायद पलकों में
छुपे राज
बताना चाहती हैं
या तुम्हारे दिल के दर्द
बाँटना चाहती हैं
तुम मुँह से
कुछ नहीं कहते
तुम्हारी ख़ामोशी
कुछ तो बोलती है
समझना चाहती हूँ
इस ख़ामोशी को
या ये कह लो समझना
चाहती हूँ तुमको!!
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (29.08.2014) को "सामाजिक परिवर्तन" (चर्चा अंक-1720)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
ReplyDeleteबढ़िया व सुंदर , धन्यवाद !
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सुंदर ।
ReplyDeleteसुन्दर और भाप्रणव प्रस्तुति।
ReplyDeleteमौन को समझना ही सबसे बड़ी उपलब्धि है...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeletewah ! bhavpurn prastuti
ReplyDeleteगणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं ! बहुत अच्छी प्रस्तुति !!
ReplyDeleteबहुत मुश्किल होता है यह काम. हाँ चेहरे से कुछ संकेत तो पढ़े जाते हैं.
ReplyDeleteMann ke hare har hai....Mann ke jeet hai...very nice lines....
ReplyDeletebahut sunder bhav
ReplyDeleteसुन्दर रचना.
ReplyDeleteNice
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