जहाँ रिसता है पानी
हर बारिश की बूँद के साथ
जहाँ पलते हैं सपने
हर नींद के साथ
जहाँ होता है उजाला
हर रोज नई रौशनी के साथ
जहाँ आज भी जानवर
बच्चों की तरह प्यारे हैं
जहाँ राशन की लम्बी
कतार तो है
पर दुकान पर
राशन नहीं है
जहाँ भूख तो है
पर रोटी कम पड़ जाती है
ये रेत की दीवारे कब
ढह जाएँ ये इन्हें भी नहीं पता।।
आपकी लिखी रचना बुधवार 20 अगस्त 2014 को लिंक की जाएगी........
ReplyDeletehttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ati sundar line
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना |
ReplyDeleteवाह जी सुंदर
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteउम्दा रचना
ReplyDeleteबढ़िया
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत खूब ! मंगलकामनाएं
ReplyDelete"
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी "