याद आते हैं वो सावन के झूले
वो मिट्टी की खुशबू
वो बारिश की बूंदे
वो फूलों की महक
वो चिड़िओं का चहकना
वो मोर का नाचना
वो सावन के गीत
वो हथेली पे मेहँदी
वो आम की डाली
वो कोयल की कूक
घर की वो रौनक
रसोईं की वो महक
हाँ बहुत याद आते हैं
वो हँसी वो ठिठोली
वो सखियाँ वो झूले
और वो ख़ुशी के पल।
सुंदर प्रस्तुति...
ReplyDeleteदिनांक 07/08/2014 की नयी पुरानी हलचल पर आप की रचना भी लिंक की गयी है...
हलचल में आप भी सादर आमंत्रित है...
हलचल में शामिल की गयी सभी रचनाओं पर अपनी प्रतिकृयाएं दें...
सादर...
कुलदीप ठाकुर
Thank u...
Deleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeleteसावन का आगमन !
: महादेव का कोप है या कुछ और ....?
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 07-08-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1698 में दिया गया है
ReplyDeleteआभार
Thank u ....
Deleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteनई पोस्ट : आमि अपराजिता.....
वो खुशी के पल आपकी फोटो मे खूब झलक रहे हैं :) और आप आज भी उन यादों को महसूस कर के अनोखी खुशी महसूस कर सकती हैं।
ReplyDeleteसादर
sach hume bhi......sundar pratuti
ReplyDeleteBahut Sunder.... Smritiyan aisi hi hoti hain....
ReplyDeleteअच्छा लेखन
ReplyDeleteये जालिम सावन जो झूला देता है पुरानी यादों को
:)
बेहद खुबसूरत रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर समसामयिक रचना।
ReplyDeleteहाँ बहुत याद आते हैं
ReplyDeleteवो हँसी वो ठिठोली
वो सखियाँ वो झूले
और वो ख़ुशी के पल-----
सावन का मनभावन सजीव चित्रण
वाह बहुत सुन्दर
बधाई ---
बेहतरीन ...रचना
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