कुछ प्यारी सी
कुछ भोली सी है
मेरी माँ ...
कभी लड़ती है
कभी डाटती है
और कभी बिना बात के
प्यार भी जताती है
मेरी माँ ...
काम करते नहीं थकती
कुछ भी मांगो
झट मिल जाता है
ऐसी है मेरी माँ ...
लाड़ली हूँ मैं उसकी
कहती है मुझे वो
अपने कलेजे का टुकड़ा
लाख दर्द भरे हों
उसके दिल में
पर कभी न जताती
मेरी माँ ...
कभी सखियों की तरह
करती है बातें
कभी शिक्षकों की तरह
लगती है डाटने
बस कुछ ऐसी ही है
मेरी माँ ...
कुछ प्यारी सी
कुछ भोली सी है
मेरी माँ ...
Me likey!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteऐसी ही तो होती है माँ...
माँ ...माँ ही होती है।
ReplyDeleteसादर
माँ की ममता का कोई पर्याय हो नहीं सकता
ReplyDeleteपूरी दुनिया में माँ तेरे जैसा कोई हो नही सकता,,,,
RECENT POST शहीदों की याद में,
तभी तो वो माँ हैं
ReplyDeleteमाँ से अच्छा कौन हो सकता है...... बहुत प्यारी है आपकी कविता
ReplyDeleteसंजो के रखना माँ के इसी प्रेमांश को सखी भाव को -
ReplyDeleteलाख दर्द भरे हों
उसके दिल में
पर कभी न जताती
मेरी माँ ...
कभी सखियों की तरह
करती है बातें
कभी शिक्षकों की तरह
लगती है डाटने
बस कुछ ऐसी ही है
मेरी माँ ...
कुछ प्यारी सी
कुछ भोली सी है
मेरी माँ ...
माँ की डांट /डांटने में भी निहित रहता है प्रेमांश .बिंदी लगाएं डांट /डांटने पर .आभार .
कभी शिक्षकों की तरह
ReplyDeleteलगती है डाटने
बस कुछ ऐसी ही है
मेरी माँ ...
कुछ प्यारी सी
कुछ भोली सी है
मेरी माँ .-----sunder bhaw jeevan ka sach maa sirf maa
कभी शिक्षकों की तरह
ReplyDeleteलगती है डाटने
बस कुछ ऐसी ही है
मेरी माँ ...
कुछ प्यारी सी
कुछ भोली सी है
मेरी माँ . ---sunder bhaw sachhi kavita
No one can take Place of Mother.
ReplyDeletenice presentation.
Khushi...dard...pyar...sabkuchh.
ReplyDeleteMaa ke lie jitna likha jaaye,kam...
bilkul ... maa aisi hi hoti hai...sundar saral shabdoN mein achhi prastuti
ReplyDeletehttp://boseaparna.blogspot.in/
Maa ki mahima anant hai pratibhaji..bahut achchhi kavita hai aapki, man ko chhu gayi...hardik abhinandan!
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