Tuesday, February 19, 2013

इजहार भी तो जरूरी है ...

किसी को चाहते रहना
खता तो नहीं ...
अपनी चाहत का इजहार करना
गुनाह तो नहीं …
वो रूठने और मनाने  की चाहत रखना
पनाहों में बुलाने की ख्वाहिश करना ...
मुकद्दर में लिखा होगा तभी मिलेगा
ये कहकर ...
वक्त को गवांना सही भी तो नहीं
प्यार किया है तो ...
हाँथ बढाकर
उसका इजहार भी तो जरूरी है।।

21 comments:

  1. बहुत सही ।


    सादर

    ReplyDelete
  2. कहते तो हैं की प्यार को किन्हीं शब्दों कि जरूरत नही आँखों की भाषा पढ़ लेती हैं आँखें किन्तु इंतज़ार में वक्त का फिसल जाना भी ठीक नही इस लिए इज़हार भी जरूरी है सुंदर भाव हैं रचना में बहुत बहुत बधाई

    ReplyDelete
  3. अपनी चाहत का इजहार करना गुनाह तो नहीं,बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.

    ReplyDelete
  4. यकीनन.....अब तो हाथ बढ़ाकर छीनने का समय आ गया है ...वरना तुम्हारी आँखों के सामने से तुम्हारा हक़ कोई और ले जायेगा और पता भी नहीं चलेगा

    ReplyDelete
  5. चाहत का इजहार करना कोई गुनाह तो नहीं,
    मुहब्बत का इजहार करना भी तो जरूरी है,,,

    Recent Post दिन हौले-हौले ढलता है,

    ReplyDelete
  6. बिलकुल सच है ... प्यार है तो इज़हार भी जरूरी है ...

    ReplyDelete
  7. इज़हार ज़रूरी ही नहीं,कुंठा मुक्त रहने की वैतरनी है,...और कुंठा मुक्त रहना चाहिए ...बधाई

    ReplyDelete
  8. हाँ न....कहे बिना वो जानेगा कैसे....मुकम्मल मोहब्बत कैसे होगी इज़हार के बिना...
    :-)

    बहुत सहज अभिव्यक्ति..
    अनु

    ReplyDelete
  9. बढ़िया प्रस्तुति .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .

    ReplyDelete
  10. बहुत सुन्दर एवं सच

    ReplyDelete

  11. फासले मिटाते रहिये ,इजहारे मोहब्बत ज़रूरी है .

    उनसे इजहारे हाल कर बैठे ,

    बे खुदी में कमाल कर बैठे .

    ReplyDelete
  12. बाह सुन्दर.

    ReplyDelete
  13. बहुत सही कहा आपने ...

    ReplyDelete
  14. बिना इजहार के बात आगे बढ़ना भी तो मुश्किल है...
    सुंदर प्रस्तुति।।।

    ReplyDelete
  15. सिर्फ़ सोचने से काम नहीं चलेगा!

    ReplyDelete
  16. अद्भुत , अति उत्तम , क्या कहे इस रचना के बारे में शब्द ही नहीं मेरे पास तो

    मेरी नई रचना


    खुशबू

    प्रेमविरह

    ReplyDelete
  17. क्या बात है | इज़हार-ए-मोहब्बत तो बहुत ही ज़रूरी है चाहे बदले में कुछ भी न मिले | अपना दिल खोल कर रख देने का नाम ही तो प्यार है |

    सुन्दर भावपूर्ण रचना | बधाई


    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

    ReplyDelete
  18. Bahut badhiya baat kahi hai aapne,pr kisi ko kho dene ka dar hume usse chaahte rahna behtar h,ijhaar ke bajay...

    ReplyDelete
  19. कुछ लोग इनकार के खौफ़ से इज़हार नहीं करते और ''लम्हे'' जैसी फ़िल्म बन जाती है ।

    ReplyDelete