Thursday, February 14, 2013

प्रीत की रीत ...

प्रीत की रीत भी बड़ी प्यारी है,
एक महका सा एहसास
तो कभी खुशियों आभास है ये ...

कभी बारिश की बूंदों की तरह
रिमझिम करता सावन है ये ...

कभी बसंत में खिले हुए फूलों पर
भवरों का एहसास है ये ...

तो कभी अँधेरी रातों में
जुगुनुओं की रोशिनी है ये ...

कभी अनछुई सी यादें
तो कभी तुम्हारा एहसास है ये।।




19 comments:

  1. प्रीत एह गहरा एहसास है ... छाया रहता हैं मन मंदिर में हमेशा ... सुन्दर रचना ...

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  2. बहुत ही बढ़िया


    सादर

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  4. कभी अनछुई सी यादें
    तो कभी तुम्हारा एहसास है ये।।-----प्रेम के अहसास की अनछुई
    अभिव्यक्ति
    बहुत बहुत बधाई





















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  5. मुद्दते गुजरी तेरी याद भी आई न हमे,
    और हम भूल गए हो तुझे ऐसा भी नही!(फिराक)

    बहुत शानदार उम्दा प्रस्तुति,,,

    recent post: बसंती रंग छा गया

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  6. बढ़िया प्रेम रचना -एहसास तेरी प्रीती का तुझसा ही है प्यारा हमको .

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  7. सुन्दर अहसास लिए सुन्दर रचना...
    ;-)

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  8. प्यारा सा बस प्यार - प्यार बेशुमार ......

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  9. मीत की प्रीत मोहे ऐसो लागी
    मैं हो गई रे दीवानी
    चार पहर अब बीत सकें न
    बिन पी सूनी जीवन फुलवारी

    बहुत सुन्दर रचना प्रतिभा | बधाई

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  10. सुंदर रचना..

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  11. बहुत - बहुत शुक्रिया यशवंत जी ...

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  12. ♥✿♥❀♥❁•*¨✿❀❁•*¨✫♥❀♥✫¨*•❁❀✿¨*•❁♥❀♥✿♥
    ♥बसंत-पंचमी की हार्दिक बधाइयां एवं शुभकामनाएं !♥
    ♥✿♥❀♥❁•*¨✿❀❁•*¨✫♥❀♥✫¨*•❁❀✿¨*•❁♥❀♥✿♥



    प्रीत की रीत भी बड़ी प्यारी है,
    एक महका सा एहसास
    तो कभी खुशियों का आभास है ये ...

    सच है ...
    प्रतिभा जी !

    सुंदर भाव ! सुंदर कविता !

    संपूर्ण बसंत ऋतु सहित
    सभी उत्सवों-मंगलदिवसों के लिए
    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
    राजेन्द्र स्वर्णकार

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  13. वहा क्या बात है बहुत ही अच्छी रचना
    उतने ही प्यारे अहसास
    मेरी नई रचना
    फरियाद
    एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
    दिनेश पारीक

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  14. बहुत खूब लिखा है एहसासों को शब्द पैरहन पहराया है .

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  15. प्रेम की खूबसूरत परिभाषा, बहुत खूब

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  16. प्रीत सतरंगी होती ही है...............प्यारी होती ही है........सर्वथा स्वार्थ विहीन होती है अतः मात्र सच्ची प्रीत अनुकरणीय होती है............

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  17. प्रीत सतरंगी ही होती है.............

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  18. Bas ye silsilaa rukna nhi chahiye...
    Sundar kavita.

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