हाँ खुश हूँ
मैं बहुत खुश…
एक नई पहचान जो मिली है मुझे
एक नई सोंच के साथ ...
क्या हुआ गर
तुम वफ़ा न कर सके ...
क्या हुआ गर
तुम साथ न निभा सके ...
शायद तुम्हारी भी
कोई मज़बूरी रही हो ...
या शायद तुम्हारी बेवफाई ने
मुझे इतना मजबूत बना दिया...
कि कोई झोका
हिला नहीं सकता ...
अब तो इरादे भी मज़बूत हो चुके हैं
और हम भी ...
तभी तो जीना चाहती हूँ
इस नई पहचान के साथ।।
मैं बहुत खुश…
एक नई पहचान जो मिली है मुझे
एक नई सोंच के साथ ...
क्या हुआ गर
तुम वफ़ा न कर सके ...
क्या हुआ गर
तुम साथ न निभा सके ...
शायद तुम्हारी भी
कोई मज़बूरी रही हो ...
या शायद तुम्हारी बेवफाई ने
मुझे इतना मजबूत बना दिया...
कि कोई झोका
हिला नहीं सकता ...
अब तो इरादे भी मज़बूत हो चुके हैं
और हम भी ...
तभी तो जीना चाहती हूँ
इस नई पहचान के साथ।।
बहुत सुन्दर ज़ज्बा...प्रभावी रचना..
ReplyDeleteजियो........जी भर के जियो !!
ReplyDeleteअनु
क्या बात है। जबरदस्त रचना।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteअब तो इरादे भी मज़बूत हो चुके हैं
ReplyDeleteऔर हम भी ...
तभी तो जीना चाहती हूँ
इस नई पहचान के साथ।।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
इरादे नेक और मजबूत हो तो अलग पहचान बनने में देर नहीं लगती
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ..
मंगलकामनाएं प्रतिभा !!
ReplyDeleteया शायद तुम्हारी बेवफाई ने
ReplyDeleteमुझे इतना मजबूत बना दिया...
तभी तो जीना चाहती हूँ
इस नई पहचान के साथ।।
सुन्दर जज्बातों के साथ अच्छी अभिव्यक्ति प्रतिभाजी, क्यों भूलें कि किसी की बेवफाई दूजे के नए जीवन का आगाज होती है
जब किसी से मिला धोखा का प्रारब्ध होता है
ReplyDeleteतो उसके बाद जो जीवन हम जीते है वो अपने आप खूबसूरत हो जाता है
जिंदगी कई पहचान दे जाती है हमें
ReplyDeleteपर जिंदगी को पहचान पाना थोड़ा मुश्किल होता है
बहुत खूब , प्रभावी अभिव्यक्ति प्रतिभा जी !
Majboot tirade hee le jayenge aage
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