किसी भी रिश्ते में
शर्तों की क्या जरूरत
आज तक कभी समझ
में न आया.…
क्यों जीना हमें
शर्तों पे
क्या बिना शर्त
कोई रिश्ता नहीं बन सकता.…
पर शायद एक रिश्ता है
जो बिना किसी शर्त
के चलता है....
माँ....
बिना किसी शर्त
रात भर जागकर
धूप में तपकर
हमें जीवन देती है
जीना सिखाती है
हमारी हर जरूरत को
पूरा करती है.…
सबसे अनमोल रिश्ता है
जो बिना किसी
शर्त के चलता है।।
शर्तों की क्या जरूरत
आज तक कभी समझ
में न आया.…
क्यों जीना हमें
शर्तों पे
क्या बिना शर्त
कोई रिश्ता नहीं बन सकता.…
पर शायद एक रिश्ता है
जो बिना किसी शर्त
के चलता है....
माँ....
बिना किसी शर्त
रात भर जागकर
धूप में तपकर
हमें जीवन देती है
जीना सिखाती है
हमारी हर जरूरत को
पूरा करती है.…
सबसे अनमोल रिश्ता है
जो बिना किसी
शर्त के चलता है।।
अनमोल कृति...
ReplyDeleteVery Nice Lines Ma'am. Keep it up. :)
ReplyDeleteआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (06.06.2014) को "रिश्तों में शर्तें क्यों " (चर्चा अंक-1635)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
ReplyDeleteGood Composition...
ReplyDeleteवाकई ! संतान और माँ का ही एक रिश्ता है जो बिना किसी शर्त के चलता है ! सुंदर रचना !
ReplyDeleteसच ऐसा ही है ये माँ और संतान का रिश्ता ।
ReplyDeleteरिश्ते शर्तों के साथ निभते भी नहीं ,फिर वे रिश्ते नहीं रहते माँ व संतान का रिश्ता शर्त में बदल नहीं सकता , सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteमाँ का रिश्ता सच में अनमोल होता है ... कोई चाह नही बाद प्रेम होता है ...
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ReplyDeleteक्यों जीना हमें
शर्तों पे
क्या बिना शर्त
कोई रिश्ता नहीं बन सकता.…
रिश्तों की परिभाषा को बहुत सार्थक रूप दिया है
इस रचना में -- मन को छूती हुई
बहुत सुन्दर
बधाई ---
माँ तो फिर माँ है। शर्त कैसी यहां तो सेवा समर्पण पल्लवन है औलाद के प्रति असीम सुख का सागर है माँ।
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