Monday, June 16, 2014

इस फादर्स डे पर ...वादा है मेरा...

इस दिन के बारे में सोंचती हूँ
तो कुछ समझ नहीं आता
कि  क्या लिखूँ ....
क्या लिखूँ  उस इंसान के बारे में
जो हमारे बीच है ही नहीं
पर हाँ उसकी यादें तो हैं
जिनके सहारे हम जीते हैं
हर दिन एक नए हौंसले के साथ उठते हैं।
नहीं हो तुम हमारे बीच
इस बात का  गम तो है
पर तुमने जो हमें ज़िन्दगी दी
वो क्या कम है।
हमें जीना सिखाया
अपने पैरों पर
खड़े होना सिखाया।
वादा है मेरा तुमसे ये
कि  न तोड़ेंगें उस वादे को
जो किया था तुमसे
और खुद से।। 

12 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (17-06-2014) को "अपनी मंजिल और आपकी तलाश" (चर्चा मंच-1646) पर भी होगी!
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

    ReplyDelete
  2. वादा है मेरा तुमसे ये
    कि न तोड़ेंगें उस वादे को
    जो किया था तुमसे
    और खुद से।।
    मन को छू रही है ये लाइनें। बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    मन को छू लेने वाले भाव

    ReplyDelete
  4. वादा है मेरा तुमसे ये
    कि न तोड़ेंगें उस वादे को
    जो किया था तुमसे
    और खुद से।।
    ...बहुत बढ़िया...
    होना भी यही चाहिए। .

    ReplyDelete
  5. पितृ दिवस पर सुन्दर रचना...

    ReplyDelete
  6. आपकी भावमयी पंक्तियाँ दिल को छू गयी.पिताजी मौजूद हैं आपकी यादों में, अहसासों में. पिता को नमन.

    ReplyDelete
  7. कोमल भावनाएँ, सुन्दर प्रस्तुती |

    ReplyDelete
  8. वादा है मेरा तुमसे ये
    कि न तोड़ेंगें उस वादे को
    जो किया था तुमसे
    और खुद से।।
    ...बहुत बढ़िया...

    Recent Post …..दिन में फैली ख़ामोशी

    ReplyDelete