अब क्या कहें तुमसे
अब क्या सुने तुमसे
न छोड़ा तुमने
कुछ कहने और सुनने को
शिकवा अगर तुमसे करें
तो ये सही न होगा
क्योंकि गलती तो
हमारी भी रही होगी कहीं
आखिर क्यूँ दिया ये हक़
हमने किसी को
जो वो हमारी ज़िन्दगी
को जार - जार कर गया
दिखाकर एक सुहाना सपना
हमें बेपनाह कर गया !!
अब क्या सुने तुमसे
न छोड़ा तुमने
कुछ कहने और सुनने को
शिकवा अगर तुमसे करें
तो ये सही न होगा
क्योंकि गलती तो
हमारी भी रही होगी कहीं
आखिर क्यूँ दिया ये हक़
हमने किसी को
जो वो हमारी ज़िन्दगी
को जार - जार कर गया
दिखाकर एक सुहाना सपना
हमें बेपनाह कर गया !!
बहुत बढ़िया प्रस्तुति हार्दिक बधाई
ReplyDeleteबहुत सुंदर,
ReplyDeleteयहाँ भी पधारे
गुरु को समर्पित
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_22.html