समझ में नहीं आता क्या लिखूं
इस फादर्स डे पर
और किसके लिए लिखूं
उस इंसान के लिए
जो हमें कब का छोड़ गया
बिना किसी गलती के
बिना किसी गुनाह के
क्या तुम थे इतने बेपरवाह
इतने कमजोर
जो मेरे साथ न रह सके
इलज़ाम दूँ भी तो किसको
तुमको या उस खुदा को
पर फिर लगता है
तुमको भी तो उतनी ही
तकलीफ हुई होगी
जितनी हमें हुई
तुम्हारे लिए भी
आसन न रहा होगा
हमें छोड़ कर जाना
तुमने भी की होगी
उस खुदा से लड़ाई
तुमने भी चाहा होगा
हमारे साथ
ताउम्र रहना
हमारे हर सुख -दुःख का
भागीदार बनना
किससे करूं सिकवा
किससे क्या शिकायत
आज तुम न सही
तुम्हारी यादें तो हैं
तुम्हारे साथ बिताये हुए
हर लम्हें का एहसाह तो है
हमारें दिलों में
तुम्हारा नाम तो है
करती हूँ ये वादा
तुमसे मैं आज
कभी न करुँगी
तुमको उदास!!
सही है ,शिकायत किस से करें ? यादें तो है -सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeletelatest post झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।(बाल कविता )
बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteबेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (03-07-2013) के .. जीवन के भिन्न भिन्न रूप ..... तुझ पर ही वारेंगे हम .!! चर्चा मंच अंक-1295 पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार
बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति .......!!
ReplyDeleteबहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति .......!!
ReplyDeleteबहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति .......!!
ReplyDeleteबहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति .......!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना , आभार
ReplyDeleteयहाँ भी पधारे ,http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_1.html
बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति....
ReplyDeletemamsparshi rachana
ReplyDelete
ReplyDeleteबहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति