Tuesday, July 16, 2013

उफ़ ये बारिश और तुम ...

उफ़ ये बारिश और तुम
बिना बताये आ जाते हो
कुछ तो समानता है तुम दोनों में

जहाँ बरस गए धीरे - धीरे कर
उसकी दुनिया
ही उजाड़ डालते हो
फिर तुम्हे फर्क नहीं पड़ता
किसी ने तुम्हे कितनी सिद्दत से चाहा

तुम्हारी तो बस आदत है
लोगों को  परेशां करना
उनकी भावनाओं से खेलकर
छोड़ देना

माना  कि  लोगों की
तुम चाहत हो
ज़रुरत हो
लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं

कि  तुम उनकी
कदर न करो
लाख बर्बादी का मंज़र लाओ
लाख ज़लज़ला लाओ

पर ये इंसान भी अजीब चीज़
बनाई  है खुदा  ने
या इसको  ज़रुरत ही कुछ
ऐसी दी है ...

कि  चाह कर भी
तुम्हे भुला नहीं सकता
तुम्हारे बिना जी नहीं सकता !!


12 comments:

  1. पर ये इंसान भी अजीब चीज़
    बनाई है खुदा ने
    या इसको ज़रुरत ही कुछ
    ऐसी दी है ...

    कि चाह कर भी
    तुम्हे भुला नहीं सकता
    तुम्हारे बिना जी नहीं सकता !!...wah ! bohat khoob

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  2. आपकी रचना कल बुधवार [17-07-2013] को
    ब्लॉग प्रसारण पर
    हम पधारे आप भी पधारें |
    सादर
    सरिता भाटिया

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  3. बहुत खूब ,बहुत सुन्दर उपमा
    latest post सुख -दुःख

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  4. बेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (17-07-2013) के .. !!,उफ़ ये बारिश और पुरसूकून जिंदगी ..........बुधवारीय चर्चा १३७५ !! पर भी होगी!
    सादर...!
    शशि पुरवार

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  5. बहुत सुंदर, शुभकामनाये

    यहाँ भी पधारे
    दिल चाहता है
    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_971.html

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  6. उफ़ ये बारिश और तुम
    बिना बताये आ जाते हो
    कुछ तो समानता है तुम दोनों में बहुत सुंदर अभिव्यक्ति .......!!

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  7. वाह, बारिश के साथ साथ खुदा को भी उलाहना ...

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  8. उफ़ ये बरसात का मौसम

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  9. कि चाह कर भी
    तुम्हे भुला नहीं सकता
    तुम्हारे बिना जी नहीं सकता !!

    बहुत सुंदर रचना .... शुभकामनाये
    यहाँ भी पधारे
    http://mausam-jai.blogspot.in/

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  10. ये प्रेक का असर है जो बारिश की बूँदें जगा देती हैं दिल में ... भाव भरी रचना ...

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  11. बहुत सुंदर, शुभकामनाये
    यहाँ भी पधारे
    http://saxenamadanmohan.blogspot.in/

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