आज किनारे पर बैठकर
समंदर की लहरो को देखा
तो ख्याल आया
कहीं न कहीं ये समंदर
तुम्हे छू रहा होगा
कुछ अलग ही एहसास था
हाँ शायद …
तुमसे दूर होने का
या समंदर के सहारे
तुम्हे अपने पास
महसूस करने का
पता नहीं…
पर हाँ किनारे बैठकर
बार बार दिल यही
कह रहा था …
इस समंदर के किसी
छोर पर तुम हो
ये प्यारा सा एहसास
शायद मुझे कहीं छू रहा था!!
समंदर की लहरो को देखा
तो ख्याल आया
कहीं न कहीं ये समंदर
तुम्हे छू रहा होगा
कुछ अलग ही एहसास था
हाँ शायद …
तुमसे दूर होने का
या समंदर के सहारे
तुम्हे अपने पास
महसूस करने का
पता नहीं…
पर हाँ किनारे बैठकर
बार बार दिल यही
कह रहा था …
इस समंदर के किसी
छोर पर तुम हो
ये प्यारा सा एहसास
शायद मुझे कहीं छू रहा था!!
बहुत ही खूबसूरत एहसास
ReplyDeleteबहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : तिब्बती साहित्य की रहस्यमयी लेखिकाएं
सुंदर अभिव्यक्ती ...प्यार का एहसास ...छू रहा था
ReplyDeleteThank You so much!!!
ReplyDeleteकुछ पल बाँध लेते हैं मन को और थमा देते हैं दूसरा किनारा प्रेम को ...
ReplyDeleteसनुम्दर भी कुछ ऐसा ही एहसास है ...
किसी छोर पर उसके होने का अहसास ही काफी है जीने के लिये..बहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteआज 05/ फरवरी /2015 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
Thank u so much!!!
Deleteबहुत ही सुंदर रचना है ...
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आप सभी लोगो का हार्दिक स्वागत है.
Very nice
ReplyDeleteBeautifully written ..
ReplyDelete